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January 29 - February 2, 2025
तारीख़, दिन और साल भूल जाने के बाद भी हमें समय याद रहता है। हम एक चलती-फिरती घड़ी हैं जिसकी बड़ी सुई मन है और छोटी सुई याद।
अक्सर जो लोग कुछ सही से समझ नहीं पाते कि उन्हें करना क्या है वह सब कुछ थोड़ा-थोड़ा करके देखते हैं।
हमें पूरा उजाला चाहिए ही नहीं। हमें बहुत-सा अँधेरा और बहुत
थोड़ा-सा उजाला चाहिए। जैसे बरसात के बाद की अँधेरी रात में तारे। थोड़े-से उजाले के साथ अँधेरा हमें एक अलग क़िस्म का सुकून देता है।
हमने कितनी दूरी तय की इस बात को ठीक से तभी समझा जा सकता है जब हम ठीक वहीं पर आकर अपने क़दम को नापें जहाँ से सब शुरू किया था।

