Abhishek

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“डैरी!” “क्या बिट्‌टी?” “कुछ नहीं—मैं सिर्फ तुम्हारी आवाज़ सुनना चाहती थी।” आँसुओं के बीच एक पीली-सी मुस्कराहट निकल आई, मानो यह उनके बीच कोई पुराना खेल हो, अच्छे दिनों के तिनके, जिन्हें पकड़कर वे डूबते दिनों में ऊपर आ जाते थे।
एक चिथड़ा सुख
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