Abhishek

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“डैरी, तुम क्या अब भी सोचते हो?” बिट्‌टी का स्वर बहुत कोमल हो आया था। “किसके बारे में?” “तुमने जो दिन वहाँ बिताए थे?” “वे दिन नहीं थे…वह मेरी उम्र थी।” डैरी ने कहा, “उम्र बीत भी जाती है, तो भी उसे ढोना पड़ता है!”
एक चिथड़ा सुख
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