Abhishek

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अँधेरे गढ़हों को लाँघते हुए, जो बीच में खुल जाते हैं, अगर दो दिन भी तुम एक-दूसरे के साथ न रहो। ऐसा हमेशा नहीं होता। सिर्फ कुछ रिश्तों में होता है। कुछ रिश्ते रेगिस्तान-से होते हैं—जिन्हें हर रोज़ लाँघना पड़ता है।
एक चिथड़ा सुख
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