Abhishek

22%
Flag icon
वह चली गई, और वह चुप खड़े उस खाली जगह को देखने लगे, जहाँ कुछ देर पहले वह खड़ी थी, और तब उन्हें देखते हुए एक अजीब-सा डर उसके भीतर उठने लगा—वह उन्हें नहीं, बल्कि उसे देख रहा है, जो उन दोनों के बीच बीत चुका था और जिसे वह कभी नहीं जान पाएगा, न कभी उसे देख पाएगा, जो आनेवाला है क्योंकि जो कुछ होनेवाला है, वह पहले से ही कहीं घट चुका है, वह कहीं बीच में है, न इधर, न उधर,
एक चिथड़ा सुख
Rate this book
Clear rating