Dharmendra Chouhan

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मैं हमेशा सोचता था कि जितना छोटा शहर सोच उतनी ही छोटी। पर मैं ग़लत था। शहर चाहे बड़ा हो या छोटा, फ़र्क़ नहीं पड़ता। सोच कुछ लोगों की हमेशा ही छोटी रहती है।
Hazaaron Khwahishen (Hindi Edition)
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