“तानाशाही! नहीं चलेगी, नहीं चलेगी।” का नारा लगाकर मैं अगर ख़ुद पर लग रही पाबंदियों का विरोध करता तो वह स्कूल के किसी हैडमास्टरनी की तरह मुझे डाँट-डपटकर चुप करा दिया करती। हाई कमांड के निर्देश अनुसार कविता, कहानी लिखने पर बैन था। सारा ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ पढ़ाई पर।