“मैं सखी और तुम सखा। जैसे ये अरुंधती और वशिष्ठ हैं न, हम भी एक दूसरे की धुरी का केंद्र रहेंगे।” • सुख या दु:ख, चाहे मेरा या तुम्हारा, मिलकर बाटेंगे। रास्ते कितने भी ऊबड़-खाबड़ क्यों न हों, साथ सफ़र तय करेंगे। • मैं कितना भी रूठ जाऊँ, मेरी प्रॉब्लम नहीं। तुम मुझे कैसे भी मनाओगे। फिर भी न मानी तो चॉकलेट केक बनाओगे। • वो सभी बातें जो कहीं-न-कहीं हमारे बीच दूरियाँ लेकर आएँ, उनसे हम ख़ुद दूरी बना लेंगे। • हम सभी ख़्वाहिशें, सभी सपने मिलकर देखेंगे और उन्हें मिलकर पूरा भी करेंगे।”