“तुम उस माहौल में कभी रहे नहीं इसलिए शायद तुम्हें पता नहीं। मैंने अपनी आँखों से शोषण होते हुए देखा है। नानी के गाँव में आज भी छोटी जात का आदमी हम ब्राह्मणों के कुएँ का पानी नहीं पी सकता। मंदिर में नहीं घुस सकता। गाँव में अगर कोई बीमार होता है तो सबसे पहले अपनी जात के डॉक्टर के पास जाता है। कितनी जगह पर इंटरव्यू में सिलेक्शन जात देखकर किया जाता है। तुम कभी अपने बनाए क़िले से बाहर निकलो तो पता चलेगा कास्ट डायनामिक्स। कैसे ब्राह्मण, भूमिहर, ठाकुर, यादव, जाटव-सब एक ही गाँव में रहकर अपने से नीचे वालों को दबाने में लगे हैं। जहाँ हमारा देश चाँद और मंगल पर पहुँचने के सपने देख रहा है, हमारी मानसिकता
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