Dharmendra Chouhan

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अपने चश्मे से सबको दूसरो का सच झूठ जान पड़ता है और खुद का झूठ सच। किसी को खुद में कुछ गलत नज़र नहीं आता। आता है तो आईना बदल लेते हैं। आईना जो वही दिखाए जैसा वे देखना चाहते हैं। आईना जो वही बताए जो वे सुनना चाहते हैं। आईना उन्हें मूर्ख बनाता है और वो ज़माने को।
Hazaaron Khwahishen (Hindi Edition)
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