Dharmendra Chouhan

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“ज़िंदगी में यदि सच्चा प्रेम ही नहीं किया तो समझो कि जीवन निरर्थक है तुम्हारा। यानी कि तुम उन समस्त वेदनाओं से अछूत रह गए,जिसका सृजन ईश्वर ने मनुष्य मात्र के लिए किया है। ठीक है मान लिया कि प्यार-व्यार का चक्कर आसान नहीं होता। मगर फिर भी जब पछताना है ही, तो शादी का लड्डू ख़ाकर पछताओ। कम-से-कम अपने नाती-पोतों को सुनाने के लिए कहानी तो बनेगी। अगर अपने प्यार के लिए ज़माने से न लड़े, बगावत ही न की तो फिर साला कैसा प्यार? धिक्कार है।”
Hazaaron Khwahishen (Hindi Edition)
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