हर कहानी हमें सपने देखना सिखाती है।लेकिन हम एक ऐसी दुनिया में हैं, जहाँहम कहानियाँ पढ़ना छोड़ चुके है और सपने देखना भूल चुके हैं।सही मायनों में हम सपने देखना ही नही बल्कि अपनी जिंदगी को जीना ही भूल चुके है।इस भागदौड भरी ज़िन्दगी से कुछ पल अपने लिए निकाल कर कहानियाँ पढ़ना, सपने देखनाऔर दोबारा इस जिंदगी को जीना शुरू करें।यकीन मानिए ये जिंदगी भी कहानियों की तरह बेहद खुबसूरत है।बस जरूरत है तो अपनी जिन्दगी के खाली पड़े पन्नों पर खुबसूरत शब्दों को भरने की।”