"हम इंसान भी बहुत अजीब है।हमेशा कुछ ना कुछ जिंदगी से माँगते ही रहते है पर जितना माँगों उतना ये जिंदगी कभी देती नही।हमेशा ही कुछ न कुछ बाकी रह ही जाता है और हम अपनी किस्मत को दोष देते है पर अगर हम जो चाहें वो सब मिल जाता तो शायद इसका नाम जिंदगी न होता।बहुत से सपने अधूरे ही रह जाते है और कुछ अनदेखे और अनसोचे सपने पूरे हो जाते है और कभी भी हमारा इस जिंदगी से माँगना ख़त्म ही नही होता।हमेशा हम यही सोचते है ये मिल जाए तो जिंदगी सेट है बॉस फिर और कुछ नही चाहिए,पर वो मिल जाने पर कुछ ही समय मे हम उससे बोर हो जाते है फिर हमें कुछ और चाहिए होता है फिर कुछ और ऐसा पूरी जिंदगी चलता रहता है जिंदगीख़त्म हो जाती
...more