Shailesh Patel

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हम सपने देखना छोड़ चुके है।हम बस जी रहे है! पता नही किस लिए? हम इतने व्यस्तहो चुके है की हम खुल कर मुस्कुराना और हँसना ही भूल चुके है।दिमाग की इस दुनिया मे हमें भूल चुके है कि हमारा दिल क्या चाहता है?मैं
Musafir dil: A journey full on love and adventures. (Hindi Edition)
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