दहेज के सामान के साथ तौलकर महबूबा नहीं आती है। दहेज की इकोनॉमी पर सोसाइटी अपना कंट्रोल खोना नहीं चाहती, इसलिए वह लव मैरेज को आसानी से स्पेस नहीं देती। लड़की पहली कमोडिटी है जो लड़के के वैल्यू से तय होती है। पैसे के साथ दुल्हन! जबकि दुल्हन ही दहेज है! डूब मरो मेरे देश के युवाओ!