धर्म और जाति ने हम सबको हमेशा के लिए डरा दिया है। हम प्रेम के मामूली क्षणों में गीत तो गाते हैं परिंदों की तरह उड़ जाने के, मगर पाँव जाति और धर्म के पिंजड़े में फड़फड़ा रहे होते हैं। भारत के प्रेमियों के हिस्से में प्रेम कम, नफ़रत ही अधिक आती है। उन्हें सलाम कि इसके बाद भी वे प्रेम कर गुज़रते