हिटलर की जर्मनी में पुलिस तो भीड़ की ही साथी बन गई थी। भारत में भी भीड़ लोगों की हत्या कर रही है। अभी इन घटनाओं को इक्का-दुक्का ही पेश किया जा रहा है। जर्मनी में भी पहले-दूसरे चरण में यही हुआ। जब तीसरा चरण आया तब उसका विकराल रूप नज़र आया। तब तक लोग छोटी-मोटी घटनाओं के प्रति सामान्य हो चुके थे। इसीलिए ऐसी किसी भीड़ को लेकर आशंकित रहना चाहिए। सतर्क भी।

