Abhishek Ghongade

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अगर आप यह सोच रहे हैं कि यह सब सरकार के इस दौर में हुआ है तो ग़लती कर रहे हैं। समय को ठीक से समझ नहीं रहे हैं। यह पच्चीस-तीस सालों से लगातार होता चला आ रहा है, जिसमें संवैधानिक संस्थाओं को लगातार कुचला जा रहा है। आज शायद आपको यह इसलिए दिखने लगा है, क्योंकि ऐसे लोगों का प्रतिशत बढ़ा है जो इस भ्रम-निर्माण के खेल के प्रति सचेत हैं।
Bolna Hi Hai : Loktantra, Sanskriti Aur Rashtra Ke Bare Mein (Hindi Edition)
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