राजस्थान में एक क़ानून आते-आते रह गया—प्रस्तावित आपराधिक क़ानून (राजस्थान संशोधन) अध्यादेश, 2017—यह विधेयक राज्य के सेवानिवृत्त एवं सेवारत न्यायाधीशों, मजिस्ट्रेटों और लोकसेवकों के ख़िलाफ़ सरकार की पूर्व अनुमति के बिना भ्रष्टाचार के किसी भी आरोप की रिपोर्टिंग पर रोक लगाने वाला था। यहाँ के सक्रिय नागरिकों और पत्रकारों को बधाई! अगर वो अब नहीं बोलते तो कभी नहीं बोल पाते। राजस्थान पत्रिका ने बहुत साहसिक क़दम उठाया कि जो बोलना ज़रूरी था, वह बात उसी वक़्त अख़बार के पहले पन्ने पर गुलाब कोठारी जी ने अपने संपादकीय में कह दी। उसके बाद फिर उन्होंने संपादकीय पेज पर जो ख़ाली स्पेस छोड़कर प्रतीकात्मक संदेश
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