यह जो मानहानि का क़ानून है, बहुत सामंती चीज़ है। ताक़तवर और अमीर लोग इसका मनमाना इस्तेमाल करते हैं। कभी किसी ग़रीब को आपने यह कहते सुना कि ‘मेरी मानहानि हो गई है। आपने मुझे फ़सल का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं दिया है। क़र्ज़ न चुका पाने की ग्लानि से आपने मुझे आत्महत्या करने की हालत में ला दिया है और अब रस्सी पर लटकने जा रहा हूँ। मेरी जो मानहानि हुई है, उसके लिए मैं आप पर अदालत में दावा ठोकूँगा।’

