पूछा जाता है कि पंद्रह अगस्त क्यों मनाएँ, कुछ ऐसा हुआ तो नहीं है; तब मैं यही जवाब देता हूँ कि अगर आपने अपने भीतर किसी भी प्रकार की नफ़रत पर काबू पाया है, सहनशीलता बढ़ाई है तो आप पंद्रह अगस्त मनाने के पूर्ण हक़दार हैं। अगर आपको किसी दूसरे धर्म या समुदाय से नफ़रत नहीं होती तो आप पंद्रह अगस्त मना सकते हैं। अगर आपने नफ़रत के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई है या उससे अपने भीतर लड़ाई की है तो यह समझिए कि भगत सिंह आपके लिए शहीद हुए, खुदीराम बोस आपके लिए फाँसी पर चढ़े, महात्मा गांधी ने आपके लिए सीने पर गोली खाई। आपको पंद्रह अगस्त ज़रूर मनाना चाहिए।