ऐसा कहते-ना-कहते मुझे एक नया राज खुलता हुआ दिखा—प्रेम की महामारी से सिर्फ़ पुरुष ही नहीं, स्त्रिायाँ भी प्रभावित होती हैं। प्रेम आग की तरह ही, ऊँच-नीच, छोटा-बड़ा, हिंदू-मुस्लिम किसी को नहीं बख्शता है। साथ ही यह तथ्य नत्थी किया जाए—इनसानी सभ्यता कितनी महान, जुझारू और आत्मबल से पूर्ण है जो सदियों से हो रहे नीच प्रेम की महामारी के हमले से न सिर्फ़ खुद को बचाए हुए है बल्कि धोखेबाज़ प्रेम को अपने भीतर आश्रय भी दिया है।