vishal kumar

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जब साँस की गति बदल कर मन की स्थिति बदली जा सकती है, तो जाहिर सी बात है कि इससे अपने विचारों को भी नियंत्रित किया जा सकता है। अब इसे ‘लॉ ऑफ अट्रैक्शन’ की दृष्टि से देखें तो अपनी साँस बदलकर आप अपने विचार को भी नियंत्रित कर सकते हैं। यानी आप अपना हर दिन, यहाँ तक कि हर घंटा अपने मुताबिक बना सकते हैं। यह कुछ साधारण से उदाहरण थे। वास्तव में साँसों के भेद बहुत व्यापक हैं। उन पर विस्तार के साथ आगे चर्चा करेंगे।
Saans Ke Rahasya - Jo Chahein, So Paayein (Hindi Edition)
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