पहुँचे हुए सिद्ध पुरुष आसानी से किसी को अपने पाँव नहीं छूने देते। कोई उनके पाँव छुए भी, तो वे अपना हाथ उसके सिर पर नहीं रखते, बल्कि दूर से ही आशीर्वाद देते हैं। इसका कारण यह नहीं कि वे किसी को अपनी ऊर्जा देना नहीं चाहते, बल्कि वास्तविक कारण यह है कि ऐसे सिद्ध जनों के भीतर ऊर्जा की जो गुणवत्ता होती है, वह जितनी मात्रा में होती है, उसे सामान्य जन बरदाश्त तक नहीं कर सकते इसलिए वे दूर से ही आशीर्वाद देते हैं।