vishal kumar

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बस, यहीं पर एक ‘मिसिंग लिंक’ है। वह है आपकी साँस। जी हाँ, ‘लॉ ऑफ अट्रैक्शन’ के पीछे भी साँस के ही रहस्य काम करते हैं। उन रहस्यों को जाने बगैर ‘लॉ ऑफ अट्रैक्शन’ की बात पूरी तरह समझ नहीं आती। अब देखिए, ‘लॉ ऑफ अट्रैक्शन’ का संबंध हमारे सोचने से है। सोचते हम वही हैं, जो हमारे मन में विचार उठते हैं। मन अति सूक्ष्म है, उसका प्रकट रूप, यानी स्थूल रूप साँस है। जैसा मन, वैसी ही साँस होगी। जैसी साँस होगी, वैसी ही मन की स्थिति होगी।
Saans Ke Rahasya - Jo Chahein, So Paayein (Hindi Edition)
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