स्वतंत्रता की अनिवार्य इच्छा—यही साध्य और उसकी प्राप्ति हेतु संग्राम— यह साधन। इन दो बातों का स्पष्ट ज्ञान सारे समाज को दिया हुआ था। परंतु उसका नेता कौन हो? विद्रोह का पक्का दिन कौन सा हो? क्रांति के मुख्य केंद्र कहाँ होंगे? ये सब बातें इतनी चतुराई से गुप्त रखी गई थीं कि उसकी भनक अंग्रेजों को तो खैर क्या होती, उस जनसमूह को भी पक्की पता नहीं थी।