Abhishek

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फौजी और सामान्य जन, राजा और रंक, हिंदू और मुसलमान—इन सबको एक साथ आवेशित करनेवाली बातें क्षुद्र नहीं होतीं, उसके मूल में होते हैं तात्त्विक कारण।
1857 का स्वातंत्र्य समर
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