Abhishek

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स्वधर्म एवं स्वराज्य—इन दो पवित्र कारणों से जो क्रांतियुद्ध लड़ा गया उसकी पवित्रता पराजय से भंग नहीं होती। गुरु गोविंद सिंह के प्रयास तादृश रीति से विफल रहे, इस कारण उसका दिव्यत्व कम नहीं होता।
1857 का स्वातंत्र्य समर
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