Abhishek

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सन् १८५७ में सारे हिंदुस्थान में जितने अंग्रेज पुरुष, महिला और बच्चे कत्ल नहीं हुए उतने अकेले नील ने केवल इलाहाबाद में किए थे। ऐसे सैकड़ों नील हजारों गाँवों में उस वर्ष नेटिवों को सरेआम कत्ल कर रहे थे। अंग्रेजों के एक-एक आदमी के लिए हिंदुस्थान का एक-एक गाँव जीवित जलाया गया है।
1857 का स्वातंत्र्य समर
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