अज्ञानी लोग अपने भोले स्वभाव के अनुसार संधिपत्रों की सूचियाँ लेकर, उनकी तिथियाँ देकर, धर्मशास्त्र के वचन देकर, तर्कों के ताने-बाने रच या पिछली परंपराओं के आधार देकर, अपने घर पर आक्रमण करने के लिए आए डाकुओं में परावृत्ति या सहानुभूति उत्पन्न करने का भ्रमपूर्ण प्रयास भले ही करें; परंतु धूर्त लोग इन निष्फ ल, बाँझ प्रयासों पर हँसे बिना नहीं रहेंगे। डाकुओं पर लागू ये सारी बातें डलहौजी की डकैतियों पर तो विशेष रूप से लागू होती हैं, अतः उसके शासनकाल में घटित कृत्यों में न्याय-अन्याय निश्चित करने का प्रयास करना मूर्खता है।