Satyaprakash Pareek

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हमारी आज़ादी ‘बाहर’ होने की थी । ड्योढ़ी में अब हम अन्दर के नहीं रहे इसलिए वहाँ भी आज़ाद थे । विदेश में तो थे ही बाहरी इसलिए वहाँ भी जो जी में आए कर सकते थे । सब जगह हम ‘बाहर’ के और अकेले
Maai (Hindi Edition)
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