भारत में सामंती और जातिवादी ताकतों की ठीक उसी तरह की मानसिकता है, जैसी अमेरिका, अफ्रीका और पश्चिमी देशों में श्वेत श्रेष्ठता हुआ करती थी। ब्रिटिश शासकों ने सामाजिक गैरबराबरी का फायदा उठाते हुए डोम (दलित जाति) को पैदाइशी अपराधी घोषित कर दिया था और इसके जरिए बाँटो और राज करो की अपनी नीति को आगे बढ़ाया। स्वतंत्रता मिलने के बाद भारत में जाति पदानुक्रम के उच्च स्थान के लोगों ने अपनी सामंती मानसिकता के साथ अपना आधिपत्य जारी रखने के लिए वंचित तबकों को अलग-थलग कर दिया। मैं देखता हूँ कि मानव समाज सिर्फ दो वर्गों में बँटा हुआ है—शासक और शासित। जातिवादी, सामंती और निहित स्वार्थ शासक वर्ग का निर्माण करते
...more