Rishabh Makrand

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लखते न अघ की ओर थे वे, अघ न लखता था उन्हें, वे धर्म को रखते सदा थे, धर्म रखता था उन्हें! वे, कर्म से ही कर्म का थे नाश करना जानते, करते वही थे वे जिसे कर्तव्य थे वे मानते॥ 21 ॥
Bharat Bharati (Hindi Edition)
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