अगर कहानी अच्छी बनानी है तो मुझे लगता है कि एक सम्पादक और लेखक के बीच रिश्ते दो तरह के होने चाहिए—या तो वैम्पायर का जहाँ वह एक-दूसरे का इतना ख़ून पिएँ कि एक-दूसरे के विचार उनकी रगों में दौड़ने लगें या फिर प्रेमियों जैसा जहाँ इशारों में ही एक-दूसरे की बात समझ जाएँ और कहानी को सही दिशा दे दें।

