हमारे यहाँ नेता और जनता के बीच चुनाव के अलावा बाक़ी के समय में उतनी ही दूरी, उतना ही रिश्ता रहता है जितना भगवान और भक्त के बीच रहता है। भक्त तस्वीर में भगवान से देख सोचता है कि भगवान उस पर दृष्टि बनाए हुए हैं और जनता नेता को टीवी पर देख सोचती है नेताजी दृष्टि बनाए हुए हैं। जिस तरह भक्त भगवान को तक़लीफ़ें कहता रहता है, भगवान सुनते हैं कि नहीं, पता नहीं; उसी तरह जनता नेता से तक़लीफ़ें कहती रहती हैं, नेता सुनते हैं कि नहीं पता नहीं!

