Anuradha Mohankumar

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ऐसा कहते हैं कि संगम की तीसरी नदी सरस्वती सबको नहीं दिखती। असल में सरस्वती नदी सबके भीतर होती है लेकिन गंगा-जमुना के चक्कर में उस नदी तक कम लोग ही पहुँच पाते हैं। सगंम में गंगा और जमुना का रंग तो अलग-अलग दिखता है लेकिन सरस्वती का रंग वही होता है जो हमारे मन में होता है।
Himanshu
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Himanshu
बस बात बनाने की कोशिश! इस अनुच्छेद का हासिल कुछ भी नहीं, मन की गंगा, मन की जमुना से इतर मन की सरस्वती को और स्पष्ट होना चाहिए!
अक्टूबर जंक्शन
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