Dharmendra Chouhan

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कुछ पा लेने की राह पर रोज भागते हुए भूल ही जाता है कि अपने खोए हुए हिस्से को बचा लेना ही असली पाना है। हम शाम होने तक अपने पीछे एक पूरी दुनिया खोकर घर लौटते हैं। दिन ऐसे खाली होकर साल हो जाते हैं।
अक्टूबर जंक्शन
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