अक्टूबर जंक्शन
Rate it:
Read between April 10 - April 16, 2024
1%
Flag icon
हमारे पास हर कहानी के दो वर्जन होते हैं। एक, दूसरे को सुनाने के लिए और दूसरा, अपने-आपको समझाने के लिए।
1%
Flag icon
इस दौर में किताब पढ़ना अपने आप में बड़ा काम है। किताब का काम वही है जो पानी का एक छोटे से पौधे के लिए होता है। खुशबू और खूबसूरती पानी में नहीं होती लेकिन हर पौधे को पानी में अपनी खुशबू ढूँढ़नी पड़ती है।
11%
Flag icon
हर अधूरी मुलाकात एक पूरी मुलाकात की उम्मीद लेकर आती है। हर पूरी मुलाकात अगली पूरी मुलाकात से पहले की अधूरी मुलाकात बनकर रह जाती है।
17%
Flag icon
हम इतनी झूठी जिंदगी जी रहे हैं कि हम दूसरे को चुप करवाते हुए अपने-आपको भी चुप करवा रहे होते हैं। चुप कराने से जब सामने वाला चुप हो जाता है तो बेचैनी और बढ़ जाती है कि हम खुद कहाँ जाकर रोएँ और हमें चुप कौन कराएगा।
23%
Flag icon
हम कुछ काम क्यों नहीं करते और एकदम वही काम क्यों कर लेते हैं—इसकी कोई ठोस वजह कभी किसी को पता नहीं चलती।
30%
Flag icon
हम लाइफ में इतना बिजी होकर क्या ही उखाड़ ले रहे हैं! लाइफ में अगर कुछ उखाड़ लेने लायक है तो वो है फुरसत। यह
30%
Flag icon
प्यार की कहानियाँ इसीलिए प्यार करने वालों के मरने के बाद भी जिंदा रहती हैं क्योंकि उनके अंत में उम्मीद हो न हो लेकिन उनकी शुरुआत एक सुई की नोक जितनी उम्मीद से होती है।
35%
Flag icon
एक वक्त के बाद प्यार में गुदगुदी होना बंद हो जाता है लेकिन गुदगुदी में थोड़ा बहुत प्यार हमेशा बचा रहता है।
48%
Flag icon
सुन पाना इस दुनिया का सबसे मुश्किल काम है। लोग बीच में समझाने लगते हैं। उससे ही सब बात खराब हो जाती है।
54%
Flag icon
किसी भी लेखक के लिए इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता कि उसकी अलमारी में न छपी हुई किताबों का कोना बड़ा होता जाए। यह वैसे ही है जैसे साल भर में हमारी न ली हुई छुटि्टयों का हिस्सा पता नहीं कब बढ़ जाता है। जिंदगी में न जिए हुए दिनों का कोटा बढ़ता जाता है। खुद को सीरियसली लेने के चक्कर में आदमी भूल ही जाता है कि एक दिन सब ठाठ धरा रह जाएगा। हर बीता हुआ दिन अपने न जिए जाने का हिसाब माँगता है। सब कुछ ठीक है और कुछ भी ठीक नहीं है जैसे ख्याल इसीलिए आते हैं ताकि आदमी अकेले में बैठकर जिंदगी से ऊब सके। इतना ऊबे कि जिंदगी से आँख-मिचौली करने की हिम्मत जुटा सके। ऊबे हुए लोग ही गूगल मैप का छोटे-से-छोटा रास्ता छोड़कर ...more
56%
Flag icon
कुछ पा लेने की राह पर रोज भागते हुए भूल ही जाता है कि अपने खोए हुए हिस्से को बचा लेना ही असली पाना है। हम शाम होने तक अपने पीछे एक पूरी दुनिया खोकर घर लौटते हैं। दिन ऐसे खाली होकर साल हो जाते हैं।
60%
Flag icon
बस दिक्कत यह है कि जब कोई इतना अच्छा हमें मिलता है तो हम उसको रोकने की कोशिश करते हैं। रोकने की कोशिश में सब कुछ बह जाता है। छुटि्टयाँ तभी तक अच्छी हैं जब तक वो मुश्किल से मिलती हैं।
64%
Flag icon
कमाल की बात है वे लोग कभी घर बनाने में अपना एक भी मिनट खराब नहीं करते जो कभी भी घर बना सकते हैं। यह जानते हुए कि यहाँ हमेशा नहीं रहना ऐसे में अपना घर बनाना और घर होना इस दुनिया का सबसे बड़ा धोखा है। यह भ्रम ऐसा ही है जैसे ट्रेन की सीट को आदमी हमेशा के लिए अपना समझ ले। एक दिन स्टेशन आएगा और हम उतरने के बाद पीछे मुड़कर भी नहीं देखेंगे।
70%
Flag icon
कई बार थोड़ी देर के लिए चले जाना बहुत देर के लिए लौट आने की तैयारी के लिए बहुत जरूरी होता
73%
Flag icon
हम सबके अंदर एक किताब होती है। वो बात जो चैन से सोने नहीं देती। वो बात जो जागने के बाद ऑफिस के रास्ते में बार-बार याद आती है। वो बात जो कॉलेज में बोरिंग लेक्चर के बीच में याद आती है। वो बात जो समंदर के किनारे टहलते हुए सबसे पहले आकर पैर से टकराती है। वो बात जो किसी पहाड़ी रास्ते पर किसी छुट्‌टी के दिन बार-बार पेड़ से झाँकती है। वही बात ही तो आपकी कहानी है। वो कहानी जो सबके दरवाजे पर कभी न कभी खटखटाती जरूर है। लेकिन उस आवाज पर ध्यान न देने की वजह से एक दिन वो आवाज चुप हो जाती है और कहानी पूरी होते हुए भी किताब अधूरी छूट जाती है।
75%
Flag icon
इस दुनिया की आधे से ज्यादा परेशानियों की वजह एक ही है, जल्दबाजी।
75%
Flag icon
“But one thing is certain. When you come out of the storm you won’t be the same person who walked in. That’s what this storm’s all about.”
76%
Flag icon
कमाल की बात है सोशल मीडिया और यूट्‌यूब, Netflix, Amazon Prime Video के डिस्ट्रैक्शन के बाद पहले तो किताब पूरी कर लेना अपने आप में एक बड़ा काम है।
90%
Flag icon
रात में पापा को बार-बार खाँसकर नींद से उठता देख सुदीप को पहली बार एहसास हुआ कि एक उम्र के बाद बिस्तर पर अकेले सोना इस दुनिया का सबसे बड़ा काम है। हर बिस्तर पर इतनी जगह होती है कि उसमें समंदर भर बेचैनी सूख जाए। सुदीप को सालों बाद पापा के साथ सोकर अपना खोया हुआ घर मिल गया था।
93%
Flag icon
जब कोई मरता है तो वह अकेले नहीं मरता अपने साथ पूरी दुनिया लेकर मरता है।
97%
Flag icon
लाइफ की ट्रैजिडी ये नहीं है कि ये नहीं मिला वो नहीं मिला। यहाँ मिलता सबको सब कुछ है बस टाइम से नहीं मिलता।”
98%
Flag icon
अकले हो जाना ही इस दुनिया की आखिरी सच्चाई है। भले आप भीड़ में मरें या अपने घर के बिस्तर पर, हर आदमी मरते वक्त अकेला ही होता है। इस दुनिया के बाद किसी दूसरी दुनिया की उम्मीद शायद हम सबकी आखिरी उम्मीद होती हो। ऐसी दुनिया जोकि हम बना सकते थे। ऐसी दुनिया जो हमें जिंदगी भर सपनों में दिखती थी। इसलिए शायद हम अपने सपने भूल जाते हैं क्योंकि अगर सपने याद रहें तो हमारे लिए यह दुनिया झेलना असंभव हो जाए।
99%
Flag icon
हम सब के अंदर का एक हिस्सा चित्रा और सुदीप जैसा है ही, जो किसी के जैसा नहीं है। जो किसी के जैसे जीना नहीं चाहते थे।
99%
Flag icon
चित्रा को मैंने वो सब कुछ दिया जो वह चाहती थी सिर्फ इसलिए ताकि आपको बता पाऊँ कि सब कुछ मिल जाने से कुछ भी नहीं मिलता।
99%
Flag icon
ऐसे भी दुनिया में इतना शोर है कि किसी को कहानी सुना पाना अपना हाल बताने जैसा है। पूछता हर कोई है, सुनना कोई नहीं चाहता। सुदीप
99%
Flag icon
कुछ रिश्ते खुशबू जैसे होते हैं। बाँधते ही बासी हो जाते हैं।