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Kindle Notes & Highlights
हमारे पास हर कहानी के दो वर्जन होते हैं। एक, दूसरे को सुनाने के लिए और दूसरा, अपने-आपको समझाने के लिए।
इस दौर में किताब पढ़ना अपने आप में बड़ा काम है। किताब का काम वही है जो पानी का एक छोटे से पौधे के लिए होता है। खुशबू और खूबसूरती पानी में नहीं होती लेकिन हर पौधे को पानी में अपनी खुशबू ढूँढ़नी पड़ती है।
हर अधूरी मुलाकात एक पूरी मुलाकात की उम्मीद लेकर आती है। हर पूरी मुलाकात अगली पूरी मुलाकात से पहले की अधूरी मुलाकात बनकर रह जाती है।
हम इतनी झूठी जिंदगी जी रहे हैं कि हम दूसरे को चुप करवाते हुए अपने-आपको भी चुप करवा रहे होते हैं। चुप कराने से जब सामने वाला चुप हो जाता है तो बेचैनी और बढ़ जाती है कि हम खुद कहाँ जाकर रोएँ और हमें चुप कौन कराएगा।
हम कुछ काम क्यों नहीं करते और एकदम वही काम क्यों कर लेते हैं—इसकी कोई ठोस वजह कभी किसी को पता नहीं चलती।
हम लाइफ में इतना बिजी होकर क्या ही उखाड़ ले रहे हैं! लाइफ में अगर कुछ उखाड़ लेने लायक है तो वो है फुरसत। यह
प्यार की कहानियाँ इसीलिए प्यार करने वालों के मरने के बाद भी जिंदा रहती हैं क्योंकि उनके अंत में उम्मीद हो न हो लेकिन उनकी शुरुआत एक सुई की नोक जितनी उम्मीद से होती है।
एक वक्त के बाद प्यार में गुदगुदी होना बंद हो जाता है लेकिन गुदगुदी में थोड़ा बहुत प्यार हमेशा बचा रहता है।
सुन पाना इस दुनिया का सबसे मुश्किल काम है। लोग बीच में समझाने लगते हैं। उससे ही सब बात खराब हो जाती है।
किसी भी लेखक के लिए इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता कि उसकी अलमारी में न छपी हुई किताबों का कोना बड़ा होता जाए। यह वैसे ही है जैसे साल भर में हमारी न ली हुई छुटि्टयों का हिस्सा पता नहीं कब बढ़ जाता है। जिंदगी में न जिए हुए दिनों का कोटा बढ़ता जाता है। खुद को सीरियसली लेने के चक्कर में आदमी भूल ही जाता है कि एक दिन सब ठाठ धरा रह जाएगा। हर बीता हुआ दिन अपने न जिए जाने का हिसाब माँगता है। सब कुछ ठीक है और कुछ भी ठीक नहीं है जैसे ख्याल इसीलिए आते हैं ताकि आदमी अकेले में बैठकर जिंदगी से ऊब सके। इतना ऊबे कि जिंदगी से आँख-मिचौली करने की हिम्मत जुटा सके। ऊबे हुए लोग ही गूगल मैप का छोटे-से-छोटा रास्ता छोड़कर
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कुछ पा लेने की राह पर रोज भागते हुए भूल ही जाता है कि अपने खोए हुए हिस्से को बचा लेना ही असली पाना है। हम शाम होने तक अपने पीछे एक पूरी दुनिया खोकर घर लौटते हैं। दिन ऐसे खाली होकर साल हो जाते हैं।
बस दिक्कत यह है कि जब कोई इतना अच्छा हमें मिलता है तो हम उसको रोकने की कोशिश करते हैं। रोकने की कोशिश में सब कुछ बह जाता है। छुटि्टयाँ तभी तक अच्छी हैं जब तक वो मुश्किल से मिलती हैं।
कमाल की बात है वे लोग कभी घर बनाने में अपना एक भी मिनट खराब नहीं करते जो कभी भी घर बना सकते हैं। यह जानते हुए कि यहाँ हमेशा नहीं रहना ऐसे में अपना घर बनाना और घर होना इस दुनिया का सबसे बड़ा धोखा है। यह भ्रम ऐसा ही है जैसे ट्रेन की सीट को आदमी हमेशा के लिए अपना समझ ले। एक दिन स्टेशन आएगा और हम उतरने के बाद पीछे मुड़कर भी नहीं देखेंगे।
कई बार थोड़ी देर के लिए चले जाना बहुत देर के लिए लौट आने की तैयारी के लिए बहुत जरूरी होता
हम सबके अंदर एक किताब होती है। वो बात जो चैन से सोने नहीं देती। वो बात जो जागने के बाद ऑफिस के रास्ते में बार-बार याद आती है। वो बात जो कॉलेज में बोरिंग लेक्चर के बीच में याद आती है। वो बात जो समंदर के किनारे टहलते हुए सबसे पहले आकर पैर से टकराती है। वो बात जो किसी पहाड़ी रास्ते पर किसी छुट्टी के दिन बार-बार पेड़ से झाँकती है। वही बात ही तो आपकी कहानी है। वो कहानी जो सबके दरवाजे पर कभी न कभी खटखटाती जरूर है। लेकिन उस आवाज पर ध्यान न देने की वजह से एक दिन वो आवाज चुप हो जाती है और कहानी पूरी होते हुए भी किताब अधूरी छूट जाती है।
इस दुनिया की आधे से ज्यादा परेशानियों की वजह एक ही है, जल्दबाजी।
“But one thing is certain. When you come out of the storm you won’t be the same person who walked in. That’s what this storm’s all about.”
कमाल की बात है सोशल मीडिया और यूट्यूब, Netflix, Amazon Prime Video के डिस्ट्रैक्शन के बाद पहले तो किताब पूरी कर लेना अपने आप में एक बड़ा काम है।
रात में पापा को बार-बार खाँसकर नींद से उठता देख सुदीप को पहली बार एहसास हुआ कि एक उम्र के बाद बिस्तर पर अकेले सोना इस दुनिया का सबसे बड़ा काम है। हर बिस्तर पर इतनी जगह होती है कि उसमें समंदर भर बेचैनी सूख जाए। सुदीप को सालों बाद पापा के साथ सोकर अपना खोया हुआ घर मिल गया था।
जब कोई मरता है तो वह अकेले नहीं मरता अपने साथ पूरी दुनिया लेकर मरता है।
लाइफ की ट्रैजिडी ये नहीं है कि ये नहीं मिला वो नहीं मिला। यहाँ मिलता सबको सब कुछ है बस टाइम से नहीं मिलता।”
अकले हो जाना ही इस दुनिया की आखिरी सच्चाई है। भले आप भीड़ में मरें या अपने घर के बिस्तर पर, हर आदमी मरते वक्त अकेला ही होता है। इस दुनिया के बाद किसी दूसरी दुनिया की उम्मीद शायद हम सबकी आखिरी उम्मीद होती हो। ऐसी दुनिया जोकि हम बना सकते थे। ऐसी दुनिया जो हमें जिंदगी भर सपनों में दिखती थी। इसलिए शायद हम अपने सपने भूल जाते हैं क्योंकि अगर सपने याद रहें तो हमारे लिए यह दुनिया झेलना असंभव हो जाए।
हम सब के अंदर का एक हिस्सा चित्रा और सुदीप जैसा है ही, जो किसी के जैसा नहीं है। जो किसी के जैसे जीना नहीं चाहते थे।
चित्रा को मैंने वो सब कुछ दिया जो वह चाहती थी सिर्फ इसलिए ताकि आपको बता पाऊँ कि सब कुछ मिल जाने से कुछ भी नहीं मिलता।
ऐसे भी दुनिया में इतना शोर है कि किसी को कहानी सुना पाना अपना हाल बताने जैसा है। पूछता हर कोई है, सुनना कोई नहीं चाहता। सुदीप
कुछ रिश्ते खुशबू जैसे होते हैं। बाँधते ही बासी हो जाते हैं।