अक्टूबर जंक्शन
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Read between July 20 - July 21, 2024
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“बनारस में किसी बात के लिए कभी देर नहीं होती।”
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“चलो कुल्हड़ वाली चाय पिलवाओ, एक भी पैसा नहीं है जेब में।”
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चित्रा अपनी कहानी का अंत ढूँढ़ चुकी थी और सुदीप अपनी कहानी की शुरुआत।
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“कुल्हड़ वाली चाय जल्दी खत्म हो जाती है।”
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सुदीप ने यह सवाल क्यों पूछा होगा इसकी एक ही वजह समझ में आती है। सुदीप अगर रात में चित्रा के सामने रोया नहीं होता तो शायद वह यह सवाल नहीं पूछता। कुछ भी हो अगर कोई लड़का किसी के सामने रो देता है तो वह सामने वाले के करीब अपने-आप आ जाता है। लड़कियों के साथ भी शायद ऐसा होता हो। साथ रोना साथ हँसने से ज्यादा बड़ी चीज
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“मैं तुम्हें कॉल कर सकता हूँ?” “नहीं, मत करना।” चित्रा ने दूसरी कुल्हड़ वाली चाय लेते हुए कहा लेकिन फिर उसके बाद जोड़ा,
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अगर किसी दिन बहुत उदास होना तो कॉल करना।”
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“तुम उदास होगी तो क्य...
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“मुझे मालूम है तुम बिजी हो। तुम्हें परेशान नहीं करूँगी।” यह वो पल था जब सुदीप को पहली बा...
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क्यों था वह इतना बिजी! क्यों उसके पास किसी भी चीज के लिए बहुत कम टाइम था! क्यों उसको अपने 35 साल का होने की जल्दी थी। हम लाइफ में इतना बिजी होकर क्या ही उखाड़ ले रहे हैं! लाइफ में अगर कुछ उखाड़ लेने लायक है तो वो है...
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“तुम्हारा जिस दिन रोने का मन करे उस दिन कॉल कर लेना। मैं आन...
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यह घटिया-सी तसल्ली कि ‘जब भी तुम्हें अकेला लगे तो मैं हूँ’ शायद इस दुनिया की सबसे बड़ी तसल्ली
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प्यार की कहानियाँ इसीलिए प्यार करने वालों के मरने के बाद भी जिंदा रहती हैं क्योंकि उनके अंत में उम्मीद हो न हो लेकिन उनकी शुरुआत एक सुई की नोक जितनी उम्मीद से होती है।
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कोई किसी को छोटी उँगली जितना भर भी सही से छू ले तो सब कुछ कितना आसान हो जाए। छूना जब केवल छूने के लिए हो कहीं पहुँचने के लिए नहीं। जब शरीर एक-दूसरे पर चढ़ाई करने के लिए नहीं बल्कि एक-दूसरे की धूल साफ करने के लिए हाथ बढ़ाएँ। तन की धूल साफ करने के लिए दुनिया में कितना कुछ है! मन की धूल की दुनिया में कोई औकात ही नहीं।
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गंगा बनारस तक आते-आते ठहर जाती है ताकि उसके पड़ोस में बैठे लोग भी ठहर सकें।
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“प्लान नहीं करते हैं सुदीप, मिलना होगा तो मिल लेंगे।”
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पास पड़ा कुल्हड़ कूड़ेदान में छलांग लगाकर टूट गया और टूटकर दोनों कुल्हड़ एक हो गए। गंगा जी ने दोनों को अस्सी से जाते हुए देखा।
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चित्रा ने अपनी आँखों के समंदर को अपने रूमाल में कैद कर लिया।
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खुश होना कितना आसान है अगर उसको एक तारीख से जोड़ दिया जाए।
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तारीख अगर तय हो तो वो एक बार नहीं आती। वो आने से कई दिनों पहले से आना शुरू हो जाती है।
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कोई लड़की या लड़का अगर पूछे कि क्यों मिलना है और सामने वाला अगर उसका बिलकुल ठीक-ठीक जवाब दे दे तो उससे कभी नहीं मिलना चाहिए। अगर कोई बोले कि ‘मिलकर
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