कोई किसी को छोटी उँगली जितना भर भी सही से छू ले तो सब कुछ कितना आसान हो जाए। छूना जब केवल छूने के लिए हो कहीं पहुँचने के लिए नहीं। जब शरीर एक-दूसरे पर चढ़ाई करने के लिए नहीं बल्कि एक-दूसरे की धूल साफ करने के लिए हाथ बढ़ाएँ। तन की धूल साफ करने के लिए दुनिया में कितना कुछ है! मन की धूल की दुनिया में कोई औकात ही नहीं।