Lass_Carrotop_Cassandra

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कोई साथ बैठा हो, चुपचाप हो और चुप्पी अखर न रही हो। ऐसी शामें कभी-कभार आती हैं। जब कोई जल्दबाजी न हो कि कुछ-न-कुछ बोलते रहना है। वर्ना तो अक्सर ही दिमाग पर प्रेशर होता है कि बातों को थमने न दें। वह बड़ी अच्छी बातें करता है या वह बड़ी अच्छी करती है के बजाय कभी कोई यह क्यों नहीं बोलता कि उसके साथ बैठकर चुप रहना अच्छा लगता है। किसी के साथ बैठकर चुप हो जाना और इस दुनिया को रत्ती भर भी बदलने की कोई भी कोशिश न करना ही तो प्यार है।
अक्टूबर जंक्शन
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