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मोस्टली लोगों के दो शहर होते हैं। एक जहाँ के हम होते हैं और एक जहाँ हम रहते हैं।”
आस-पास देखकर पता ही नहीं चलता कौन कितने आँसू लेकर भटक रहा है।
हम लाइफ में इतना बिजी होकर क्या ही उखाड़ ले रहे हैं! लाइफ में अगर कुछ उखाड़ लेने लायक है तो वो है फुरसत।
हर बीता हुआ दिन अपने न जिए जाने का हिसाब माँगता है।
हम शाम होने तक अपने पीछे एक पूरी दुनिया खोकर घर लौटते हैं।
जिंदगी एक हद तक ही परेशान करती है। उसके बाद वो खुद ही हाथ थाम लेती है।