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Kindle Notes & Highlights
हमारे पास हर कहानी के दो वर्जन होते हैं। एक, दूसरे को सुनाने के लिए और दूसरा, अपने-आपको समझाने के लिए।
“दो दिन के लिए आओगे तो बनारस कभी अच्छा नहीं लगेगा। बनारस आओ तो फुर्सत से आओ। बनारस आते बहुत लोग हैं लेकिन पहुँच कम लोग पाते हैं।”
हर अधूरी मुलाकात एक पूरी मुलाकात की उम्मीद लेकर आती है। हर पूरी मुलाकात अगली पूरी मुलाकात से पहले की अधूरी मुलाकात बनकर रह जाती है।
वो सवाल जो हम एक-दूसरे से पूछ रहे होते हैं वो असल में हम अपने-आप से पूछ रहे होते हैं।
अकेले रहना आसान बनाने में बड़ी मुश्किलें आती हैं।
लड़कियाँ एक समय के बाद घर की माँ बन जाती हैं फिर पता नहीं कब घर की नींव का हिस्सा हो जाती हैं।
मैं जिंदगी को बस उतना ही पकड़ पाया हूँ जितना कि एक मुट्ठी बंद करके कोई हवा पकड़ पाता है।
लाइफ की ट्रैजिडी ये नहीं है कि ये नहीं मिला वो नहीं मिला। यहाँ मिलता सबको सब कुछ है बस टाइम से नहीं मिलता।”