Apoorva Ashu

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जिंदगी एक हद तक ही परेशान करती है। उसके बाद वो खुद ही हाथ थाम लेती है। जिंदगी ताश के पत्ते जैसे ही भरोसे का खेल है जिनको होता है वो परेशान भले दिखें, अंदर से परेशान होते नहीं। इसलिए खेल में पत्ते अच्छे हों या खराब जीतने वाले आखिर ब्लाइंड में भी जीत ही जाते हैं। जिंदगी पर ब्लाइंड खेलने जितना भरोसा रखना ताश के पत्ते पर बाजी लगाने जितना आसन होता नहीं, इसलिए लोग हारने से बहुत पहले ही हार चुके होते हैं।
अक्टूबर जंक्शन
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