ऐसा कहते हैं कि संगम की तीसरी नदी सरस्वती सबको नहीं दिखती। असल में सरस्वती नदी सबके भीतर होती है लेकिन गंगा-जमुना के चक्कर में उस नदी तक कम लोग ही पहुँच पाते हैं। सगंम में गंगा और जमुना का रंग तो अलग-अलग दिखता है लेकिन सरस्वती का रंग वही होता है जो हमारे मन में होता है।