“सब ठाठ पड़ा रह जावेगा, जब लाद चलेगा बंजारा ये धूम-धड़क्का साथ लिए, क्यों फिरता है जंगल-जंगल इक तिनका साथ न जावेगा, मौकूफ हुआ जब अन्न और जल घर-बार अटारी, चौपारी, क्या खासा, तनसुख है मसलन क्या चिलमन, पर्दे, फर्श नये, क्या लाल पलंग और रंगमहल सब ठाठ पड़ा रह जावेगा, जब लाद चलेगा बंजारा।”