Vibhu

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सुदीप अब भी व्यू का मजा ले रहा था। “चित्रा, अगर मान लो तुम्हें एक भी पैसा न मिले, तुम्हारी एक भी किताब न बिके तो क्या तुम लिखना छोड़ दोगी?” “नहीं, मैं फिर भी लिखूँगी।” “तो बस फिर पैसे का मत सोचो। मैंने अपनी कंपनी इसलिए नहीं बनाई थी कि मैं करोड़पति
अक्टूबर जंक्शन
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