~ मृ ♡

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हम इतनी झूठी जिंदगी जी रहे हैं कि हम दूसरे को चुप करवाते हुए अपने-आपको भी चुप करवा रहे होते हैं। चुप कराने से जब सामने वाला चुप हो जाता है तो बेचैनी और बढ़ जाती है कि हम खुद कहाँ जाकर रोएँ और हमें चुप कौन कराएगा।
अक्टूबर जंक्शन
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