मैं जीवन में जब-जब किसी प्रकार के डिप्रेशन से गुज़र रहा होता था तो मुझे अपनी डायरी याद आती थी और मैं उसके पन्ने के पन्ने गूद डालता था। अब इस उम्र में आकर जब अपनी डायरी पढ़ता हूँ तो लगता है कि कितना पीड़ित जीवन जिया है मैंने। जबकि यह सही नहीं है। मैं उन क्षणों को दर्ज करना ही भूल गया था, जब मैंने कहा था कि life is good.