Ayushi Singh

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लेकिन असल नाटक कहाँ है? असल नाटक वह रेत है जो हाथों से धीरे-धीरे छूटती चली जाती है। असल नाटक वो ख़्वाब हैं जो दरवाज़ा खटखटाते हैं, पर उस वक़्त हम घर पर नहीं होते। असल नाटक वह अधूरापन है जिसे कोई दूसरा पूरा करता है… और उस दूसरे का नाम वक़्त है जो पलटकर कभी वापस नहीं आता। असल नाटक मौन में है, गहरी साँसों में है, टीस में है… असल नाटक ख़ुद से दूर जाने में है, ख़ुद को भूल जाने में है।
Tumhare Baare Mein (Hindi Edition)
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